Mahatma Gandhi Seva Prerak Bharti Par Rok lagi :- हाल ही में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की नियुक्ति पर प्रतिबंध के संबंध में शांति और अहिंसा विभाग से जवाब मांगा है। इस फैसले से राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस भर्ती प्रक्रिया के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। इस लेख में हम Mahatma Gandhi Seva Prerak Bharti Par Rok lagi इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Mahatma Gandhi Seva Prerak Bharti Par Rok lagi
13 अगस्त 2023 को राजस्थान राज्य सरकार ने पंचायत स्तर और शहरी निकायों के लिए 50,000 महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती की घोषणा की। इसका उद्देश्य विभिन्न सामाजिक और समुदाय-संबंधी मुद्दों का समाधान करना है। हालांकि इस निर्णय को जल्द ही कानूनी जांच का सामना करना पड़ा है।
भर्ती को राजस्थान उच्च न्यायालय में कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ा। लछीराम मीना सहित याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील पीआर मेहता ने तर्क दिया कि भर्ती विज्ञापन में कई मोर्चों पर स्पष्टता का अभाव है। सबसे पहले इसमें प्रेरकों के लिए केवल चार हजार पांच सौ रुपये के मानदेय के साथ एक वर्ष तक चलने वाली अस्थायी नियुक्तियों का प्रस्ताव रखा गया। इसके अलावा विज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित महात्मा गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर में अनुभव वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
हालाँकि यह पता चला कि यह प्रशिक्षण शिविर केवल एक दिवसीय कार्यक्रम था जिसमें व्याख्यान शामिल थे। विज्ञापन संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था, विधायी समर्थन का अभाव था, प्रेरकों के काम के नियमों और शर्तों को रेखांकित करने में विफल रहा और योग्यता-संबंधित चयन मानदंड स्थापित नहीं किया। इससे भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता और मान्यता को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गईं।
कोर्ट का फैसला – महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती पर रोक लगी
राजस्थान हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को सीधे तौर पर रद्द नहीं किया बल्कि शांति एवं अहिंसा विभाग से जवाब मांगकर अहम कदम उठाया। इस निर्णय ने अगली सूचना तक महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की नियुक्ति पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी है। हालांकि सरकार को भर्ती प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति है लेकिन विभाग की प्रतिक्रिया प्राप्त होने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाने तक किसी भी नियुक्ति को अंतिम रूप नहीं दे सकती है।
सरकार कर रही सार्वजनिक धन का दुरुपयोग
इस भर्ती की प्रमुख आलोचनाओं में से एक इसका समय है। राज्य सरकार ने आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर यह भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। इस कदम को नियुक्तियों से संबंधित कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन और सार्वजनिक धन के संभावित दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। आलोचकों का तर्क है कि सरकार को इतनी बड़ी संख्या में एक साल के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित करने के बजाय अस्थायी नियुक्तियों के लिए स्थापित सेवा नियमों का पालन करना चाहिए था।
इसके अलावा अनुभवी प्रेरक जिन्होंने इस काम के लिए वर्षों समर्पित किए हैं उन्हें लगता है कि उनकी योग्यताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
निष्कर्ष – Mahatma Gandhi Seva Prerak Bharti Par Rok lagi
महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती प्रक्रिया के संबंध में जवाब मांगने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले ने कानूनी और नैतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि सरकार को प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति है, अदालत का फैसला यह निर्धारित करेगा कि ये नियुक्तियां आगे बढ़ेगी या नहीं।